जबकि सम्पूर्ण जिम्मेदारी जलदाय विभाग की है। खास बात तो यह है सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा यह सड़क बनवाई जा रही है, उसकी ओर से सिर्फ सड़क निर्माण की ही वित्तीय स्वीकृति है। वही जलदाय विभाग ने भी पाइपलाइन डालने का कोई कार्यादेश नही दिया है। ऐसे में बगैर सरकारी स्वीकृति व मापदंडों को पूरा किये बिना पाइपलाइन डालना महज औपचारिकता पूरी करना है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। लोगो को नल जल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी खुद खर्च वहन करना पड़ रहा है। यह स्थिति सरकार के सुनियोजित विकास के दावों की पोल खोल रही है।
"लोगो का जो नुकसान हुवा है उसका भुगतान जलदाय विभाग, नगर पालिका और ठेकेदार करे। सरकारी निर्माण जनता के हित में होता है ना कि अहित हो।"
हेमन्त शर्मा, रहवासी
"सड़क खुदाई के दौरान हर गरीब व्यक्ति का नुकसान हुवा है। सबको निजी ख़र्चे पर गड्ढे खुदवाकर कनेक्शन करवाने पड़े, कम से कम 1000 रुपये तक खर्च हुवे है। जो सरासर अन्याय है।"
अक्षय जैन, वार्डवासी
"हमारे द्वारा पाइपलाइन डालने की कोई परमिशन नही है, अगर ठेकदार द्वारा पाइपलाइन के साथ छेड़छाड़ की गई है तो जेईएन, एईएन को भेजकर दिखवाते है।"
अधिशाषी अभियंता, रमनलाल पीएचईडी
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