भवानीमंडी: नगर की रेलवे स्टेशन सीसी सड़क विवाद व राजनीतिक रसूखदारों के अतिक्रमण का मामला राजधानी जयपुर तक पहुँच गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राजस्थान सरकार के महानिदेशक को भाजपा पार्षद अविनाश जायसवाल ने पत्र लिखा। वही राजस्थान सरकार व स्वायत्त शासन विभाग के मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिये। दरअसल गत दिनों रेलवे स्टेशन की निर्माणधीन सीसी सड़क में देरी के चलते जनविरोध होने लगा, जिसके बाद भाजापा नेताओ ने 1 जनवरी 2024 को विरोध प्रदर्शन कर सड़क का काम शुरू करवाया था। उसके बाद भवानीमंडी नपाध्यक्ष ने अतिक्रमण वाली जमीन को जनहित में देने की बात प्रेस कॉन्फ्रेंस रखकर मीडिया से साझा की। जिसके जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा नेताओं ने दान दी गई जमीन को नगरपालिका अध्यक्ष पुत्र राहुल बोहरा व अन्य का अतिक्रमण बताया। वही पालिकाध्यक्ष द्वारा पद के दुरपयोग करने की बात कही थी। मामले को उजागर करते हुवे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राजस्थान सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया है।
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चेयरमेन कैलास बोहरा का स्वागत करते प्रशाशनिक अधिकारी |
दान के पीछे की छिपी कहानी, पत्र लिखकर की उजागर - नगरपालिका चैयरमेन भवानीमण्डी द्वारा पद का दुरूपयोग करने व कर्तव्य की पालना नहीं करने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर मामले का पर्दाफाश किया है। पत्र में लिखा कि नपाध्यक्ष भवानीमण्डी कैलाश बोहरा व उनका पुत्र राहुल बोहरा नगरपालिका भवानीमण्डी में पार्षद है। पार्षद का चुनाव लड़ने से पूर्व नगरपालिका बोर्ड द्वारा राहुल बोहरा के विरूद्ध धारा 245 नगरपालिका अधिनियम के तहत कार्यवाही की थी, जिसमें उनके द्वारा रेलवे स्टेशन मार्ग जो कि यातायात के लिये सबसे ज्यादा चलने वाला मार्ग रहा है। पर किये गये अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की व राहुल बोहरा व अन्य व्यक्तियो को उनके द्वारा रोड पर किये गये 7 फीट अतिक्रमण हटाने के लिये नोटिस जारी किया।
जब धारा 245 नगरपालिका अधिनियम की कार्यवाही हो रही थी, तो राहुल बोहरा द्वारा नगरपालिका भवानीमण्डी के विरूद्ध सिविल न्यायालय भवानीमण्डी में स्थाई निषेधाज्ञा हेतु दावा प्रस्तुत किया। जिसका दिवानी वाद सं. 19/2015 है, जिसमें सहायता चाही गई कि नगरपालिका द्वारा जारी नोटिस 27/12/2015 के द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं हटाया जावे। जिसका जवाब तत्कालिन नगर पालिकाध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका द्वारा दिनांक 05/12/2015 को सिविल न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिसमें स्पष्ट रूप से "नगरपालिका द्वारा एक सर्वे टीम गठित करने बाबत तहसीलदार महोदय पचपहाड से निवेदन किया था। जिस पर तहसीलदार पचपहाड के निर्देशानुसार एक संयुक्त टीम गठित की गई, जिसमें कन्हैयालाल महाराजा स्वास्थ निरीक्षक नगरपालिका भवानीमण्डी, कैलाशचन्द गुप्ता कानूनगो तहसील पचपहाड, ईश्वरचन्द पटवारी तहसील पचपहाड, मांगीलाल कुमावत जे.ई.एन, गोपाल शर्मा, अश्विनी कनिष्ठ लिपिक नगरपालिका भवानीमण्डी नियुक्त किया गया।
उक्त सभी व्यक्तियो द्वारा रिकार्ड एकत्रित कर मौके पर पैमाईश कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें राहुल बोहरा पार्षद व अन्य का 7 फीट चौडाई में रोड की भूमि पर अतिक्रमण माना था तथा नगरपालिका द्वारा न्यायालय में रिपोर्ट, बोर्ड के प्रस्ताव तथा रेवेन्यु रिकॉर्ड प्रस्तुत किये गये। स्थाई निषेधाज्ञा के दावे साथ राहुल बोहरा द्वारा अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत किया गया व नगर पालिका को अतिक्रमण हटाने से रोकना चाहा, जिस पर सिविल न्यायालय भवानीमण्डी द्वारा दोनो पक्षो को सुना गया व कोर्ट कमिशनर नियुक्त कर मौका रिपोर्ट तलब की गई। कमिश्नर रिपोर्ट पत्रावली पर प्रस्तुत हुई दोनो पक्षो को सुनने के बाद न्यायालय द्वारा नगरपालिका द्वारा की जा रही कार्यवाही को सही माना व दिनांक 28/09/2015 के अपने आदेश के द्वारा स्थगन देने से मना कर दिया व राहुल बोहरा का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। जिसकी अपील अपर जिला व सत्र न्यायालय में राहुल बोहरा पार्षद नगरपालिका भवानीमण्डी द्वारा की गई, जो भी खारीज हो गई।
अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र खारीज होने के बाद नगरपालिका द्वारा अतिक्रमण नियमानुसार हटाया गया व अतिक्रमण में हुवे खर्च की वसूली की कार्यवाही पेन्डिग थी, नियमानुसार अतिक्रमण का खर्च वसूल किया जाना था। इस दौरान नगरपालिका बोर्ड के चुनाव हुवे व अतिक्रमी राहुल बोहरा व उनके पिता कैलाशचन्द बोहरा पार्षद का चुनाव लडे व नगरपालिका के नवगठित बोर्ड में पार्षद हो गये। कैलाशचन्द बोहरा नगरपालिका के चैयरमेन बन गये। कैलाशचन्द द्वारा नगरपालिका चैयरमेन बनने के बाद अपने पद का दुरुपयोग करना शुरू किया। अधिशाषी अधिकारी पर दबाव बनाया व खारीज हुवे दावे में रिकॉर्ड व न्यायालय के निणयों के विरूद्ध जाकर अपने पद के अनुसार दबाव बनाकर अपने पुत्र राहुल बोहरा के प्रकरण में राजीनामा पेश करवाया जबकि दावा एक बार दिनाक 12/04/2019 को न्यायालय द्वारा खारीज कर दिया था, ए.डी जे न्यायालय द्वारा रिमांड 12/08 पर पुन्नः विचारधीन रहने के दौरान कैलाशचन्द बोहरा द्वारा अधिशाषी अधिकारी से राजीनामा रिकार्ड तथ्य व दस्तावेज के विरुद्ध जाकर पेश करवाया तथा डिक्री ली की जिसमें लिखा कि जो अतिक्रमण हटा उसकी क्षतिपूर्ति की कोई राशि की मांग वादी द्वारा नही की जायेगी तथा डिक्री दिनांक 12/03/2022 को जारी की गई।
जबकि अतिक्रमण खर्च नगरपालिका को राहुल बोहरा से वसूल करना था। उसके विपरीत जाकर डिक्री ली गई, उसके बाद पुनः राहुल बोहरा द्वारा डिक्री व राजीनामे में संशोधन हेतु प्राथना पत्र दिनांक 30/06/2022 को प्रस्तुत किया गया। जिस पर नगरपालिका द्वारा कोई आपत्ति जाहिर नहीं की गई। क्योंकि राहुल बोहरा पार्षद व कैलाशचन्द बोहरा उनके पिता चैयरमेन थे। अपने पद के प्रभाव में पुनः संशोधित डिक्री नगरपालिका से अनापत्ति प्रस्तुत कर दिनांक 06/08/2022 को जारी करवाई व डिक्री ली कि दिनांक के 27/02/2015 के अनुसरण में कोई कार्यवाही अतिक्रमण हटाने जाने की नगरपालिका नहीं करें। जबकि अतिक्रमण पूर्व में हटा दिया गया था। चूंकि कैलाश बोहरा चैयरमेन थे। राहुल बोहरा पार्षद तो अधिशाषी अधिकारी जैसा वह कहते वैसा करते गये व नियम, रिकार्ड तथ्यों व पूर्व के निर्णय को एक तरफ रख दिया। इस प्रकार खुले रूप से अपने पद का दुरुपयोग चैयरमेन कैलाशचन्द बोहरा द्वारा किया गया है।
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6 माह तक रुका रहा काम, गिरते पड़ते रहे लोग, कई हुवे चोटिल- जब पीडब्लूडी द्वारा रेलवे स्टेशन का रोड का निर्माण चालू किया तो अपने पद के प्रभाव में कैलाश बोहरा व उनके पुत्र राहुल बोहरा के द्वारा प्रार्थना पत्र अधिशाषी अभियन्ता सार्वजनिक निर्माण विभाग को देकर रोड का काम लगभग 6 माह तक रोक दिया गया।
रेलवे स्टेशन पर एक और की सड़क की पट्टी बन गई व एक ओर वाहन लगातार गिरते रहे। लोगों को चोट लगती रही। वाहन में नुकसान होता रहा, लेकिन अपने पद के कारण रोड बनने से चैयरमेन कैलाश बोहरा द्वारा रोका गया। जब जनता ने विरोध प्रदर्शन किया व भाजपा पार्षद व मण्डल कार्यकर्ता द्वारा आन्दोलन की चैतावनी दी, तो कैलाश बोहरा द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से व प्रशासन पर दबाव बनाकर उपखण्ड अधिकारी छत्रपाल चौधरी को लगाकर पूरा- पूरा प्रयास किया कि रोड का काम रोका जावे।
किन्तु दस्तावेज व रिकोर्ड सभी खिलाफ होने पर अन्त में कैलाश बोहरा ने कहा कि मैं जमीन दान करता हूँ। जबकि मौके पर उनकी कोई जमीन नही थी। उनके पुत्र की जमीन भी नहीं थी, उन्होने दुकानो के उपर का हिस्सा खरीद रखा है। रास्ते के नजदीक उनका कोई लेना- देना नही था। रोड के नजदीक के दुकानदार सिर्फ फूलचन्द शर्मा को छोडकर सभी रोड बनाने के पक्ष में रहे है। बाद में छत्रपाल चौधरी उपखण्ड अधिकारी द्वारा भी चैयरमेन व फूलचन्द शर्मा को माला पहनाकर घोषणा की गई कि यह लोग भूमि को दान कर रहे है। जबकि पूर्व उपखण्ड अधिकारी कमल यादव द्वारा पूरे पुलिस प्रशासन के साथ मौके पर से अतिक्रमण हटाया था व न्यायालय द्वारा स्टे खारीज किये थे। खुले रूप से पद का दुरूपयोग नपाध्यक्ष कैलाश बोहरा द्वारा किया गया। नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर स्वंय व परिवार को फायदा पहुंचाने व नगरपालिका व राज्य सरकार को हानि पहुंचाने का कार्य किया, जो कि नगरपालिका अधिनियम की धारा 39 की उपधारा घ (1) व (v1) के अन्तर्गत अपराध है। नगरपालिका अध्यक्ष को तुरन्त प्रभाव से उनके पद व दायित्व से मुक्त किया जावे व दोषी अधिकारियों के विरूद्ध जांच कर उनके विरूद्ध भी तुरन्त कठोर से कठोर कार्यवाही की जावे।
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