जेसीबी पर चढ़कर किया टाइगर को ट्रेंकुलाइज
जानकारी के अनुसार शनिवार रात से टाइगर का मूवमेंट शेरपुर गांव के पास स्थित हेलीपैड के आसपास बना हुआ था। लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी थी, लेकिन रात का अंधेरा होने के चलते वन विभाग की टीम की ओर से टाइगर को ट्रेंकुलाइज नहीं किया गया। जिसके बाद रविवार सुबह 6:30 बजे वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। यहां पहुंच कर वन विभाग की टीम ने देखा कि एक टाइगर झाड़ियां में छिपा हुआ था। जिसकी वजह से टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। टाइगर के झाड़ियों में छिपे होने के चलते वन विभाग की टीम ने मौके पर एक जेसीबी बुलवाई। वहीं सूचना मिलने के बाद मौके पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। जिन्हें वन विभाग और पुलिस की टीम टाइगर से उचित दूरी पर रोक दिया। इस दौरान जेसीबी की सहायता से वन विभाग की टीम ने झाड़ियां में छुपे टाइगर को ट्रेंकुलाइज किया। ट्रेंकुलाइज करने के बाद रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के रेस्क्यू वाहन से टाइगर को जंगल में छोड़ दिया गया। इस दौरान वन विभाग की टीम को पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने में करीब एक से डेढ़ घंटे की मशक्कत करनी पड़ी।
पेरीफेरी वाले इलाकों में तीसरी टाइगर को किया ट्रेंकुलाइज
आपको बता दे की पिछले डेढ़ माह में वन विभाग की टीम की ओर से तीन टाइगरों को ट्रेंकुलाइज किया जा चुका है। वन विभाग की होटल सवाई विलास, कुतलपुरा मालियान और शेरपुर हेलीपैड से टाइगरों को ट्रेंकुलाइज कर चुकी है। वन विभाग की टीम बाघिन ऐरोहेड टी-84 की फीमेल कनकटी को ट्रेंकुलाइज कर भिड एनक्लोजर में छोड़ चुकी है। उल्लेखनीय है कि फीमेल शावक कनकटी के हमले से एक रेंजर और एक सात वर्षीय बालक की मौत हुई थी। जिसके बाद भी अभी भी टाइगर्स का रणथम्भौर के जंगलों से बाहर आने का सिलसिला थमता हुआ नहीं दिख रहा है। जिससे लोगों में दहशत बनी हुई है।
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