झालावाड़: मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने एक बच्चे को जन्मजात बीमारी से निजात दिलाई है। यह बीमारी 1 लाख 17 हजार बच्चों में से एक को होती है। यह झालावाड़ की पहली सर्जरी है जिसमे ऑपरेशन कर पेशाब का रास्ता बनाया गया है। जामुनिया निवासी बालक मयंक कुमार एपिस्पेडियाज नामक एक जन्मजात बीमारी से पीड़ित था। इस बीमारी में पेशाब का रास्ता (लिंग) के छोर पर न होकर किसी भी भाग में मिल जाता है। इससे पेशाब की धार नहीं बनती और वह पेशाब पेट में या अन्य जगह जाने से वहां इंफेक्शन हो जाता है। बच्चों को पेशाब आने के बारे में पता भी नहीं चलता है। इसके अलावा लिंग के ऊपर जो हड्डी होती है उसमें भी बड़ा गेप होता है। जबकि सामान्य व्यक्ति में यह गेप नहीं होता है। इस बीमारी के कारण बच्चे का लिंग बेडोल और बहुत छोटा था। बच्चे के परिजन उसे यूरोलॉजी विभाग में डॉ. विशाल नेनीवाल के पास लेकर आए। सारी जांचे कराने पर एपिस्पेडियाज बीमारी के बारे में पता चला। यूरोलॉजी और एनेस्थीसिया के विशेषज्ञों ने पढ़ा और सर्जरी की प्लानिंग की। पेशाब की नली बनाई, मूत्र थैली भी बनाई। लिंग में होने वाली नलिया जो ऊपर नीचे थी उनको अपनी अपनी जगह किया। इससे लिंग को आकार में लाया गया और 5 से 6 घंटे की सफल सर्जरी की गई। टीम में यूरोलॉजी विभाग के डॉ. नैनीवाल, के साथ डॉ. चमन नागर, डॉ. आनंद ऋषि, एनेस्थीसिया से डॉ. राजन नंदा, डॉ. सुधीर, डॉ. धर्मेंद्र, डॉ. ब्रेंडा व ओटी स्टाफ में शामिल रहा।
बालक को जन्मजात बीमारी से मिली निजात: 1लाख 17 हजार पर एक को होती है यह बीमारी
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