यूं तो मार्च माह में वसूली अभियान चलाना एक सामान्य बात है और वर्ष भर तक जो सरकारी जमा बाकी रहती है सरकारी विभाग उसे वसूलने का प्रयास करते हैं। लेकिन भवानीमंडी में जलदाय विभाग का जो रवैया है वह परेशान कर रहा है।
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फ़ाइल फ़ोटो |
| संपादकीय राधेश्याम काला, गेस्ट राइटर |
भवानीमंडी | दरअसल शहर की जनता को जलदाय विभाग की असमंजस पूर्ण नीतियों का शिकार होना पड़ रहा है। गहलोत सरकार के समय 2 साल तक पानी के बिल माफ कर दिए गए थे और उसके बाद आम जनता में एक सामान्य भाव पैदा हो गया था के पानी के बिल जमा नहीं करने पड़ेंगे। जलदाय विभाग के बिल भी आने बंद हो गए थे और दो- तीन साल तक विभाग में इन बिलों को लेकर नीम खामोशी रही। लेकिन इस माह असामान्य रूप से कुंभकरण की नींद में सोए जलदाय विभाग की नींद टूटी और वह वसूली अभियान पर भवानीमंडी की सड़कों पर निकल गया। एक- एक व्यक्ति को जब जल की वसूली थमाई गई, तो उसके हाथ में हजारों रूपयों की वसूली के नोटिस दिया जाना कहां तक विधि सम्मत है।
क्योंकि इन नोटिस ने कुछ सवाल खड़े कर दिए है। 4 साल तक जलदाय विभाग ने आखिर पानी के इन बिलों को लेकर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? जन जागरण का प्रयास क्यों नहीं किया गया?
कांग्रेस सरकार के समय जलदाय विभाग खामोश रहा और सरकार बदलते ही अचानक क्या परिवर्तन हुआ कि उसे पिछले बिलों की याद आने लगी।
आश्चर्य तो इस बात का है जिस समय अवधि के लिए बिल माफ किए थे। उस समय की राशि भी इन बिलों में जोड़ दी गई, यह कहकर की शासन द्वारा जो जारी अधिसूचना थी उसे समझने में विभाग से भूल हुई थी। प्रचंड गर्मी के पूर्व जलदाय विभाग की यह करतूत जनता में असंतोष का कारण बनी हुई है।
जनता सवाल पूछ रही है विभाग की अदूरदर्शी नीतियों का जनता क्यों नुकसान उठाएं?
उपभोक्ताओं से उस जल के लिए पैसे वसूले जा रहे हैं जो पीपलाद डेम से पिलाया गया था और अब राजगढ़ परियोजना के बाद यह साबित हो गया है कि वह जल गंदा था, बीमारियां फैलने वाला था। उसे प्रदूषित जल के भी जलदाय विभाग द्वारा पैसे वसूला जाना नैतिकता के पैमाने पर कितना उचित है। इसका फैसला भवानीमंडी की जनता को करना होगा।
जबकि केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2023 में जारी की गई रिपोर्ट में पिपलाज डैम का पानी पीने योग्य नहीं माना है। इस ज़हरीले पानी से मानव जीवन कई रोगों से प्रभावित हो रहा है। इसके पीने से नगर के अधिकांश लोगों को कई तरह की बीमारियों एवं चर्म रोगों से ग्रसित होने से आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शहर की राजनीति खामोश है, जनता द्वारा चुने गए नेता जयपुर व दिल्ली के प्रतिनिधि जनता की परेशानियों से दूरी बनाए हुए हैं!
स्थानीय नूमाइंदे खामोश है। दरअसल ऐसा लगता है कि सत्ताधारी दल के स्थानीय प्रतिनिधियों में वह जज्बा ही खत्म हो गया है कि वह अपने ऊपर वाले नेताओं को जनता की परेशानियों से रूबरू करा सके! उधर हम सबका भी नैतिक दायित्व है कि उनके राज्य में जो बिल माफ हो गए थे, जिसके लिए सरकार ने जनता को सुविधा दी थी। आज उसके भी पैसे वसूलने के प्रयास किया जा रहे हैं क्या हम सबका नैतिक दायित्व नहीं बनता इस अराजकता के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाएं?
बिल के साथ- साथ जो पेनल्टी और ब्याज वसूला जा रहा है वह तो बिल्कुल गैरकानूनी है । हर मार्च में एमनेस्टी योजना आती है। परंपरागत रूप से ब्याज और पेनल्टी माफ की जाती है। उसके बाद जनता से अपील की जाती है कि जो इतना बड़ा ओवरड्राफ्ट उनके ऊपर हो गया है उसे वह जमा कराए ! कई बार ऐसी स्थिति में इंस्टॉलमेंट की सुविधा भी दी जाती है!
लेकिन आश्चर्य है ना तो सरकार द्वारा कोई प्रयास किया जा रहा है ना स्थानीय नेताओं को इससे कोई सरोकार है? ऐसे में नगर पालिका भवानीमंडी क्षैत्र के आमजन नैतिक मूल्यों का हास कब तक सहेगा। जन अभियांत्रिकी विभाग का नैतिक दायित्व है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के निर्णय की पालना सुनिश्चित करें और आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करें।
इधर कोंग्रेस प्रतिनिधि मंडल पहुँचा जलदाय विभाग
भवानीमंडी नगर कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने हजारों रुपए के बिल जो जलदाय विभाग द्वारा भवानीमंडी के उपभोक्ताओं को दिए हैं, उनको लेकर जनता में पहले जो आक्रोश है उसकी जानकारी दी। नगर कांग्रेस अध्यक्ष विनय ऑस्तोलिया ने विभाग से जानकारी चाहि आखिर इतने रूपयो के बिल उपभोक्ताओं को क्यों दिए गए।विभागीय अधिकारी इसका सही जवाब नहीं दे पाए।
उनका कहना था की गहलोत सरकार के समय जल बिल के माफी की एक घोषणा की गई थी। जिसका आदेश विभाग के पास नहीं आया और विभाग भी यह सोचता रहा की पानी के बिल माफ हो गए हैं। इसलिए वह जागृति भी पैदा नहीं कर पाया और उपभोक्ताओं ने भी बिल नहीं जमा कराए इसलिए इतने बिल आ गए।
उस पर प्रतिवाद करते हुए पूर्व नगर अध्यक्ष प्रमोद जैन ने विभाग के अधिकारियों को कहा कि यदि ऐसे आदेश नहीं आए तो उन्हें जनता को सूचित करना चाहिए था। समय पर नोटिस देने चाहिए थे। आपके विभाग की लापरवाही की सजा शहर की जनता क्यों भुगते। नगर कांग्रेस अध्यक्ष विनय ने इस बात पर भी आपत्ति दर्ज की, कि अभी जब राजगढ़ परियोजना स्वीकृत की गई है। तब विभाग के अधिकारियों ने स्वीकार किया है पीपलाद से दिया जा रहा जल गंदा है,रोगों का कारण है। जब विभाग स्वयं स्वीकार करता है। फिर इस गंदे जल का भुगतान भवानीमंडी की जनता से किस आधार पर मांगा जाता है। जबकि उसे जल के बाद शहर में काफी लोग बीमार भी हुए हैं।प्रतिनिधि मंडल ने विभाग के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भवानीमंडी में तुरंत वसूली नहीं रोकी गई और वसूली के नाम पर किसी एक भी उपभोक्ता का नल का कनेक्शन काटा गया, तो उसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। पूर्व विधायक स्नेहलता ने आरोप लगाया जब तक कांग्रेस की सरकार थी।विभाग ने वसूली का कोई प्रयास नहीं किया और अब जैसे ही भारतीय जनता पार्टी का राज आया, वसूली के नाम पर जलदाय विभाग दादागिरी कर रहा है। नगर कांग्रेस अध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा कि 2 दिन के अंदर- अंदर विभाग उनके द्वारा पूछे गए सवालों के संतोषप्रद समाधान सुझाए अन्यथा नगर कांग्रेस को जन आंदोलन करना पड़ेगा। इसके लिए वह तैयार रहे।
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