कलेक्टर का स्टूडेंट्स के साथ डिनर, मानसिक स्वास्थ्य तनाव पर की बात

कोटा |  शहर के कोचिंग छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य व तनाव की स्थिति को कम करने को लेकर डिनर विद कलक्टर एवं कोटा केयर्स पहल के तहत जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने विद्यार्थियों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने परीक्षा की तैयारी, मानसिक संतुलन, करियर विकल्प और समाज की अपेक्षाओं को लेकर छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

एक छात्रा के मेडिकल के बाद सिविल सेवा में आने के कारण पूछने पर उन्होंने कहा- डॉक्टरी के दौरान मरीजों और वंचित परिवारों की समस्याओं को करीब से देखने के बाद उन्हें लगा कि प्रशासनिक सेवा में आकर लोगों की सहायता का दायरा बढ़ाया जा सकता है। डॉक्टरी पेशे में मरीजों की मृत्यु से जुड़ी भावनात्मक चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कलक्टर ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान इस प्रकार की परिस्थितियों से जूझना सीखना पड़ता है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर का कर्तव्य होता है कि वह अपना शत-प्रतिशत प्रयास करें और संतुलन बनाए रखें।

संतुष्टि और सीखने की प्रक्रिया: जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अपने मुकाम पर पहुंचकर संतुष्ट हैं, तो उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य प्राप्त करने के बाद एक नई यात्रा शुरू होती है। सीखना सतत प्रक्रिया है, और नए अनुभवों से हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा जीवन कभी भी लक्ष्य हीन नहीं होना चाहिए।

परीक्षा की तैयारी के टिप्स: उन्होंने परीक्षा से कुछ दिन पहले मॉक टेस्ट देने, अपनी गलतियों पर काम करने और प्रश्न पत्रों में कम स्कोर से घबराने की बजाय सीखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पुरानी परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण कर महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर विशेष पकड़ बनानी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे स्वयं 12वीं तक प्रथम स्थान पर रहे, लेकिन पीएमटी के पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि परीक्षा की तैयारी पूरी मेहनत से करें, लेकिन जीवन में स्पष्टता के लिए एक बैकअप प्लान भी ज़रूरी है। परीक्षा में असफल होना आपकी कमी नहीं दर्शाता, बल्कि यह एक प्रतियोगिता है जिसमें छोटे-छोटे अंतर से सफलता और असफलता तय होती है।

समाज और रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया की परवाह न करें: उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे समाज या रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया को लेकर तनाव न लें। सफलता और असफलता जीवन का हिस्सा हैं, और दूसरों की अपेक्षाओं के बजाय खुद की क्षमताओं पर ध्यान देना चाहिए।

क्या टॉपर्स का शेड्यूल फॉलो करें: जब एक छात्रा ने पूछा कि क्या टॉपर्स की दिनचर्या का अनुसरण करना चाहिए, तो उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अलग होता है और अपनी क्षमता के अनुसार अध्ययन करना चाहिए। टॉपर्स से प्रेरणा ली जा सकती है, लेकिन अपनी रणनीति खुद बनाना ज़रूरी है। जब एक छात्रा ने सिलेबस की गति से मेल न खाने पर तनाव की बात की, तो उन्होंने महत्वपूर्ण टॉपिक्स और कमजोरियों पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कोचिंग में पढ़ाए जाने वाले विषयों को पहले से पढ़ने से आत्मविश्वास बढ़ेगा।

माता-पिता के प्रति सम्मान और निर्णय लेने की समझ: एक छात्रा के माता-पिता की हर बात मानने पर दूसरों द्वारा उपहास उड़ाने की बात पर उन्होंने कहा कि माता-पिता की बात मानना गर्व की बात है,हालांकि, निर्णय लेने में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। माता-पिता की सलाह हमेशा भले की होती है, और उनका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा माता पिता से हर बात साझा करें क्योंकि वो आपको आपको निस्वार्थ प्रेम करते हैं और हमेशा करते रहेंगे।

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