जिद और जुनून से लिखी खुद अपनी कहानी, 500 से अधिक युवतियों-महिलाओं को बनाया हुनरमंद
भैसोदामंडी: आज 8 मार्च महिला दिवस है। ये दिन नारी शक्ति को उनकी ताकत का एहसास कराता है। आज का दिन उस पुरुष प्रधान समाज को एहसास कराता है कि महिलाएं भी उनसे कम नहीं है। महिलाएं आज अपने खुद की मेहनत से समाज में अपनी पहचान बना रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने जिद और जुनून से खुद अपनी कहानी लिखी है। नाम है सविता घुता, जो पेशे से एक ब्यूटीशियन है। वही घर के कामकाज के साथ- साथ समाजसेवा में भी सक्रिय है।
सविता ने पिछले 4 सालों में लगभग 500 से ज्यादा युवतियों व महिलाओं को ब्यूटीपार्लर का कोर्स करवा कर हुनरमंद बनाया है। खास बात यह है कि सविता घुता ने ब्यूटी कोर्स का कोई चार्ज नही लिया, यह बिल्कुल निशुल्क है। जो आज भी अनवरत जारी है। स्कूल व कॉलेज की युवतियों के लिए यह फ्री ब्यूटी कोर्स समर वेकेशन के समय करवाया जाता है। यह सब नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक अच्छा कदम है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के कौशल विकास व आत्मनिर्भर भारत, नारी सशक्तिकरण जैसे ध्येय को भी बढ़ावा दे रही है। वही सविता द्वारा प्रशिक्षित की गई कई महिलाये व युवतियां हाथ हुनर के जरिये आत्मनिर्भर बनकर विभिन्न जगहों पर नए- नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। वर्तमान में सविता भैसोदा मण्डी में खुद का एक निजी ब्यूटी पार्लर चलाती है। सविता का कहना है कि हर महिला को अपनी जिद और जुनून से अपने जीवन की कहानी खुद लिखनी चाहिए।
महानगर से आई महिला ने गांव में मनाई पहचान
सविता घुता इंदौर जैसे बड़े महानगर की रहने वाली थी, शादी छोटे से कस्बे भवानीमंडी में हुई। तब परिवार वालो और लोगो ने बहुत बातें मनाई कि छोटे से गांव में शादी करना बेवकूफी है। उनका कहना है कि एक बेटी का अपने पापा के प्रति अटूट विश्वास ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है।
वही घुता ने अपने हुनर को हमेशा बांटते हुवे फ्री ब्यूटी कोर्स कराकर कई महिलाओ, युवतियों और निराश्रित गृहणियों को हाथहुनर सिखाया है, जो आज खुद सेल्फ डिपेंड होकर अपना बिजनेस कर रही है। सामाजिक व धार्मिक कार्यो में भी सविता हमेशा आगे रहती है। समय- समय पर समाजहित व जनहित के कार्य करती रहती है। नगर के त्रिवेणीधाम मन्दिर समिति की महिला मंडल अध्यक्षा भी है। वही एक स्थानीय एनजीओ राजस्थान नागरिक मंच की सेकेटरी के पद पर भी कार्यरत है। वह महिलाओं के शोषण व गृह हिंसा के सख्त खिलाफ है। समय -समय पर क्षेत्र में किये गए सराहनीय कार्यो के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
शिक्षा का सफर, सामाजिक भेदभाव भी आया आड़े
सविता घुता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गृह नगर इंदौर से की है। उसके बाद स्नातकोत्तर के बीच में ही उनकी शादी कर दी गई। जिसके बाद जैसे तैसे उन्होंने बीए अंतिम वर्ष किया। उसके बाद गृह क्लेश का सामना करना पड़ा। दो बच्चो को जन्म देने के बाद उन्होंने जयपुर जाकर ब्यूटी वेलनेस में एडवांस पीजी किया। इन सब में उनके माता-पिता व पति का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनका कहना है कि वे खटीक समाज से है। अक्सर उन्हें अपनी जाति के कारण जातिगत भेदभाव झेलना पड़ा। वे बताती है कि आज के समाज में महिला- पुरुषों में असमानता का भाव तो खत्म होने लगा है। पर जातिगत भेदभाव समाज के लिए विडंबना बनी हुई है।
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