ज्ञापन में बताया कि क्रेशर मालिकों पर लगातार बिना किसी ठोस आधार के जुर्माना लगाये जा रहे हैं। रॉयल्टी की दर में 25% की वृद्धि कर दी गई है, जो क्रेशर उद्योग की कमर तोड़ रही है। एमनेस्टी स्कीम के माध्यम से ओवरलोड परिवहन को सरकार के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे नियमानुसार काम करने वाले व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं। झालावाड़ जिले में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूरों का रोजगार बंद हो गया है, लेकिन सरकार का ध्यान सिर्फ राजस्व वसूली पर है। जबकि क्रेशर व्यवसाययों की कठिनाइयों की तरफ सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
ज्ञापन सौंपने वालों ने बताया कि क्रेशर एसोसिएशन की मांग है कि राजस्थान सरकार खनिज नीति से जुड़े समस्त व्यवहारिक नियमों की तत्काल समीक्षा करें। खनिज एवं क्रेशर उद्योग को उद्योग का दर्जा दिया जाए। पर्यावरण स्वीकृत, डोम सर्वे, ट्रान्सफर, ट्रैक्टर ट्रॉली आदि की अनुमति की प्रक्रियाओं को सरल एवं पारदर्शी बनाया जाए। जुर्माना प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए। मनमाने प्रावधानों पर रोक लगाई जाए। पूरे प्रदेश में एक समान रॉयल्टी की नीति लागू की जाए तथा मजदूरों एवं व्यापारियों को राहत देने हेतु सरकार उच्च स्तरीय वार्ता के लिए तत्काल संगठन को आमंत्रित करें। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि जब तक उनकी मांगे सरकार गंभीरता से नहीं लेकर उन पर विचार नहीं करेगी तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी।
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