सरकारी अस्पताल में दो प्रसूता की मौत, इलाज में लापरवाही व रुपये लेने के आरोप, कलेक्टर ने डॉक्टर सहित लेबर रूम का समस्त स्टाफ किया एपीओ

भवानीमंडी: सरकारी अस्पताल में दो प्रसुताओं की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया। परिजनों ने महिला डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही व रुपए लेने तक के गम्भीर आरोप लगाये है। हालांकि मामले को गंभीरता से लेते हुवे जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने तुरंत एक्शन लेते हुवे महिला डॉक्टर पूजा मीणा सहित प्रसव कक्ष के समस्त स्टाफ को एपीओ कर दिया। दरअसल सरकारी अस्पताल के लेबर रूम में नवजात की नॉर्मल डिलवरी के बाद दो प्रसुताओं की मौत हो गई, वही दोनों स्वस्थ नवजात को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। मृतक कविता का ससुराल मध्यप्रदेश के गरोठ तहसील के गांव खजूरीखेड़ा और रेशम ग्राम झिझनी की रहने वाली बताई जा रही है। दोनों की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा मचा दिया और महिला डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप लगाए। वही कविता के एक परिजन ने तो रुपये लेने की बात तक कही है।

पूरे मामले को देख रही स्त्री रोग विशषज्ञ डॉ पूजा मीणा का कहना है कि दोनों ही प्रसुताओं की नॉर्मल डिलवरी हुई थी। कुछ देर बार लेबर रूम में प्रसूता रेशम बाई की तबियत बिगड़ने लगी और कार्डिक अरेस्ट आया, जिसको तुरंत सीपीआर दी और जिला अस्पताल रेफर किया गया। वही दूसरी प्रसूता कविता प्रसूता रेशम बाई की बिगड़ती हालात को देखकर घबरा गई। दोनों की रेफर के दौरान ही मौत हो गई। दोनों मृतक प्रसुताओं के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया गया। 


प्रवीण

मृतक रेशम बाई के पति प्रवीण ने रोते बिलखते हुवे बताया कि सुबह 5 बजे हॉस्पिटल लाये थे और दोपहर करीब एक बजे नार्मल डिलवरी हुई थी। ढाई घण्टे बाद उनको बोला गया कि उनकी पत्नी रेशम की बीपी हाई हो गई। जिसके बाद टैबलेट्स ओर इंजेक्शन लगाए। ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया और फिर रेफर का बोला तो अंदर घुस के देखने पर पता लगा कि मौत हो गई थी। रेफर से पहले ही मेरी पत्नी की मौत हो चुकी थी। 
मोहनलाल, रिश्तेदार

मृतक प्रसूता कविता के रिश्तेदार मोहनलाल ने बताया कि डॉक्टर की लापरवाही से ही प्रसूता की मौत हुई है। इलाज के समय हमने 2000 रुपये भी हॉस्पिटल के स्टाफ को दिए है।

खास बात यह है कि सरकारी कमरुद्दीन अस्पताल में बतौर स्त्री रोग विशेषज्ञ पदस्थ डॉ. पूजा मीणा अस्पताल के सामने ही एक निजी क्लिनिक में पेशेंट देखती है। साथ ही उसने पूछने पर पता चला कि वे सरकार से नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी लेती हैं। सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस न करने के बदले में दिया जाने वाला एक भत्ता है, जो मूल वेतन का 20% होता है।


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