झालावाड़ में अवैध खनन,वन विभाग रोकने में नाकाम..!

राजस्थान में झालावाड़ का वन विभाग कितनी मुस्तैदी से काम कर रहा है। इसकी बानगी झालावाड़ शहर से सटे हुए जंगलों में देखने को मिलती है। वन विभाग के मुख्यालय स्थित कार्यालय से महज दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर धडल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। जिस पर लगाम लगाने में वन विभाग पूरी तरह से नाकाम है। झालावाड़ के बालगढ़ से लेकर देवरी घटा तक दर्जनों स्थान पर खुलेआम सेंडस्टोन का अवैध खनन किया जा रहा है, जहां अवैध खनन करने वाले इतने निडर हो चुके हैं कि बाहर का कोई भी व्यक्ति यदि उनके इलाके में कदम रखे तो, वह उस पर हमला करने को उतारू हो जाते हैं और जानलेवा बन जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि वन क्षेत्र में अवैध खनन की गतिविधियां फील्ड स्टाफ की मिलीभगत से चल रही हैं, इस पूरे क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले खाने चला करती थीं, जिनको अब अवैध खननकर्ता काट रहे हैं‌। सूत्र बताते हैं कि वन विभाग का फील्ड स्टाफ इन पुरानी खानों में नाप करके अवैध खननकर्ताओं को खनन के लिए जगह दे देते हैं। इसके बदले प्रतिमाह 5 से 10 हजार तक वसूले जाते हैं। इसी सिस्टम को अपनाते हुए इस पूरे क्षेत्र में दर्जनों खाने अवैध तरीके से चलाई जा रही है। 

जिन पर यदि कभी वन विभाग के अधिकारी कार्यवाही करना चाहे भी तो उनके दफ्तर से निकलने से पहले वन विभाग के फील्ड स्टाफ द्वारा सूचना अवैध खननकर्ताओं को पहुंचा दी जाती है तो वह काम बंद करके इधर- उधर छुप जाते हैं। दिन के समय यदि अचानक जाकर देखते हैं तो पूरे इलाके में बाकायदा मशीनरी से काम किया जा रहा है। ट्रैक्टरों की सहायता से होल करके पत्थर थोड़ा जा रहा है तो वहीं जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर भी इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में यदि कोई मीडियाकर्मी इस क्षेत्र में चला जाए तो यह लोग जो अवैध खनन कर रहे हैं, उसको डराते हैं और लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। मीडिया की एक टीम जब इस जंगल में पहुंची और हालात देखे तो तीन युवक आए और गाली-गलौच करते हुए पत्थरबाजी करने लगे। इस मामले को लेकर जब टीम ने वन विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि मामला दिखवाते हैं। जानकार बताते हैं कि इन पहाड़ियों में अवैध खनन का पूरा खेल वन विभाग की मिली भगत से चल रहा है, क्योंकि वन विभाग ने क्षेत्र में पत्थर की दीवारें तो बनाई है, लेकिन अवैध खननकर्ताओं के लिए बाकायदा रास्ते छोड़े गए हैं। ना यहां पर वन विभाग की कोई निगरानी है, ना यहां के कर्मचारी विभाग के लिए निष्ठा से कम कर रहे हैं। खास बात यह है कि फील्ड स्टाफ लंबे समय से यहां पर जमा बैठा है, जो अवैध खनन करने वालों से सांठ- गांठ करके पहाड़ियों का सीना छलनी करने में मदद कर रहा है।


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