महांकाल लोक की तर्ज पर दुधाखेडी में बनेगा 'देवी लोक', CM ने सोशल हैंडल पर पोस्ट कर की घोषणा, विधायक चन्दर सिंह ने आमसभा के दौरान रखी थी मांग

भैसोदामण्डी। कपिल चौहानमध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को अपने सोशल हैंडल से पोस्ट कर दुधाखेडी माता मंदिर में 'देवी लोक' बनाने की घोषणा की है। दरअसल गरोठ विधायक चन्दर सिंह सिसोदिया ने जनमानस की मांग पर सीएम यादव की आमसभा के दौरान यह मांग मुख्यमंत्री मोहन यादव से की थी। मालूम हो कि बीते शनिवार को विभिन्न विकास कार्यो का लोकार्पण करने गरोठ विधानसभा के प्रसिद्ध तीर्थ धाम दुधाखेडी मन्दिर सीएम यादव पहुँचे थे।

कार्यक्रम में 3 घण्टे देरी से पहुँचे सीएम ने लगभग 20 मिनट तक आमजन को सभा स्थल से सम्बोधित किया। साथ ही लगभग 400 करोड़ की लागत से कई विकास कार्यो का रिमोट दबाकर इलेक्ट्रॉनिक लोकार्पण व भूमिपूजन किया। इस दौरान क्षेत्रीय विधायक चन्दर सिंह सिसोदिया ने मंच से आमजन को सम्बोधित करते हुवे कहा कि "दुधाखेडी भव्य देवी लोक बनवाना है तो जोर से जयकारा लगाओ, आवाज भोपाल तक जानी चाहिए। वही सीएम की मौजूदगी में देवी लोक बनाने के साथ ही लम्बे समय से चली आ रही जनमानस की मांग पर गरोठ को जिला बनाने की बहुप्रतिक्षित मांग भी सीएम के समक्ष रखी। हालांकि सीएम ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि यहां के दुधाखेडी धाम के विकास के लिये कोई कसर नही छोड़ी जाएगी।

पर सीएम की आमसभा के समापन के बाद लोगो में 'देवी लोक' बनने को लेकर असमंजस्य जैसी स्थिति बनी हुई थी। पर राजधानी पहुँचने से पहले ही सीएम ने रविवार सुबह अपने ऑफिशियल सोशल अकाउंट से पोस्ट कर लिखा कि " दुधाखेडी माता मंदिर परिसर को देवी लोक के रूप में भव्य रूप से विकसित किया जाएगा। इसके विकास कार्यों और सौंदरीकरण के लिए प्रत्येक कार्य होगा।" जिसके बाद क्षेत्रीय विधायक चन्दर सिसोदिया सहित कई फेसबुक यूजर ने इस घोषणा रूपी पोस्टर को सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर भी किया। इस घोषणा के बाद क्षेत्र की जनता में खुशी की लहर है। वही गरोठ को जिला बनाने की मांग अभी भी अधूरी है।

आरोग्यधाम के नाम से प्रसिद्ध है दुधाखेडी मंदिर

प्राचीनतम दुधाखेडी मन्दिर आरोग्यधाम के नाम से प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां पेरालेसीस (लकवाग्रस्त) रोगी आते है और माता के चमत्कार से ठीक होकर जाते है। ऐसी मान्यता है कि अगर जिस किसी को भी लकवा हो जाये और वो माताजी मन्दिर में कुछ दिनों तक रात्रि विश्राम कर कुंड में स्नान कर पवित्र जल की शरीर के लकवाग्रस्त हिस्से पर मालिश करे तो जल्द ही लकवे की बीमारी से निजात मिल जाती है। दंतकथाएं है कि माताजी लोगो के रोगों को हरकर उनको निरोगी करती है। इसी कारण यह पवित्र दुधाखेडी धाम आरोग्यधाम के नाम से भी प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश ही नही अपितु दूर दराज से देश के कई राज्यो व विदेशों से भी लोग माता के दर्शन को आते है।

माताजी से जुड़ी कई दंतकथाए है प्रचलित 

इन्दौर की महारानी अहिल्या देवी ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था और झालावाड़ के पूर्व महाराजा जालिम सिंह भी पूजा अर्चना करने आते थे। यहां माता की पाँच मूर्तियाँ विराजित है। रावत मीणा भाट की पोथी के अनुसार प्राचीन समय में दुधा जी रावत जो मोडि में बसते थे। माता जी के बडे भक्त थे, उनको माता ने स्वप्न दिया था, कि आगे आने वाले समय में परिवर्तन होने वाला है, इस कारण में अपना स्थान यहाँ से अन्यत्र बदलना चाहती हूँ, जहाँ आज माता का मन्दिर है, प्राचीन समय में भयंकर वन था।

ऐसी दंतकथा है कि उस वन में एक व्यक्ति वन काट रहा था। उसी समय एक स्त्री की आवाज उसको सुनाई दी कि हरे वन काटना महापाप है। एक वन काटना 35 लाख मनुष्यों को मारने के बराबर है। उस व्यक्ति ने वृक्ष काटना बंद कर दिया, उसी समय पश्चिम की ओर से एक वृद्धा आती दिखाई दी और वृक्ष से दुध की धार बहने लगी, उस वृद्धा ने कहा बेटा वनों की पूजा करना चाहिये, उस आदमी ने कहा कि माता जी आज के बाद में वन नही काटूंगा और हाथ जोड़े। लाल चुन्दर वाली माता जी वहाँ से गायब हो गई तो आदमी अचम्भित हो गया। यह बात जब मोड़ी वाले दुधा जी राव ने सुनी तो वे भी उस वन में आये। कई लोग ईधर उधर के गाँवों से आकर वन में बह रही दुध की धार के दर्शन के लिये उमड़ पड़े। उसी स्थान पर फिर दुधाखेड़ी माता जी की मूर्ती की स्थापना की गई।

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