राजा-महाराजा के जमाने में प्रजा को आमंत्रित कर भोज कराया जाता था, उसे ही ज्योणार कहा जाता है। शहर के सभी व्यापार मंडल, समाज प्रमुख, मंदिर-मठों के प्रतिनिधि, साधु-संत और आमजन को देसी घी में बनी दाल-बाटी-चूरमा का भोजन परोसा जाएगा।
जयपुर हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव ने 11 जुलाई को पूजा कर इस रसोई की शुरुआत की थी। इसके बाद हलवाइयों की टीम ने कंडों पर भोजन बनाना शुरू कर दिया। पिछले 2 दिन से हलवाइयों की टीम दिन-रात भोजन सामग्री तैयार करने में जुटी है। आज (रविवार) भी भोजन तैयार करने का सिलसिला थमा नहीं है।
एक साथ चार हजार लोग कर सकते हैं भोजन जयपुर के अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में बारिश को ध्यान में रखते हुए तीन बड़े वाटरप्रूफ डोम की व्यवस्था की गई है। दो डोम 330 फीट लंबे और 200 फीट चौड़े हैं। वहीं, एक डोम 250 फीट लंबा और 50 फीट चौड़ा होगा। इन डोम्स में 1000 टेबल्स की व्यवस्था की गई है, जिन पर एक साथ 4000 लोग टेबल-कुर्सियों पर बैठकर भोजन कर सकते हैं। भोजन का समय दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक है।
लगातार चल रही भोजन की तैयारी
भोजन तैयार करने के लिए 500 हलवाई की टीम लगातार काम कर रही है। 200 हलवाई सपोर्ट स्टाफ में मौजूद हैं। 700 वेटर्स भी तैनात किए गए हैं। 12,500 किलो आटा-बेसन, 1500 किलो दाल, 1200 किलो मावा, 1200 किलो शक्कर, 160 पीपा देसी गाय का घी, 100 किलो लाल मिर्च, 50 किलो हल्दी, 50 किलो गरम मसाला, 500 किलो हरी मिर्च, टमाटर और हरे पत्तल-दोनों में भोजन परोसे जाने की तैयारी चल रही है। पूरी रसोई शुद्धता के मानकों को ध्यान में रखकर चलाई जा रही है।
सुरक्षा का भी पूरा ख्याल सुरक्षा के लिए 100 पुलिसकर्मी, 100 प्राइवेट गार्ड, 300 पुरुष और 200 महिला वॉलंटियर्स तैनात रहेंगे।
कूपन आधारित एंट्री, लकी ड्रॉ में LED TV से कूलर तक इनाम
इस ज्योणार में एंट्री केवल कूपन से ही होगी, जो पहले ही शहर के प्रमुख मंदिरों जैसे गोविंद देवजी, गोपीनाथ मंदिर, ताड़केश्वर महादेव और चांदपोल हनुमान मंदिर समेत 50 हजार लोगों को वितरित किए जा चुके हैं। हर कूपन पर लकी ड्रॉ का भी एक हिस्सा है। कूपन का एक भाग लकी ड्रॉ बॉक्स में डालना होगा। विजेताओं को इनाम के रूप में 24 इंच LED-TV (पहला), फ्रिज (दूसरा), कूलर (तीसरा), मिक्सर (चौथा) और 10 सांत्वना पुरस्कारों के रूप में 10-10 ग्राम चांदी के सिक्के मिलेंगे।
हर वर्ग और समाज के लोग एक जाजम पर बैठेंगे
समिति सदस्य अजय यादव बताते हैं- आयोजन का उद्देश्य सिर्फ भोजन नहीं बल्कि सभी वर्गों, जातियों और धर्मों को एक जाजम पर बैठाकर जयपुर की सांस्कृतिक विरासत को फिर से संजोने का है। आयोजन में जयपुर की कलाओं, हस्तशिल्प और इतिहास पर आधारित झांकियां भी लगाई जाएंगी, जिससे नई पीढ़ी को अपनी परंपरा और मूल पहचान से परिचय मिलेगा।
Post a Comment