मंदसौर: शहरी गरीबों को सुरक्षित आवासीय अधिकार दिलाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले भूमिहीन और आवासहीन परिवारों को अब आवासीय भूमि का पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 20 नवम्बर से प्रदेशभर में विशेष सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत की गई, जो 13 दिसम्बर तक चलेगा। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त संकेत भोंडवे ने बताया कि यह अभियान प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के बीएलसी और एएचपी घटकों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधिकार) अधिनियम, 1984 में संशोधन करते हुए पात्रता तिथि 31 दिसम्बर 2020 निर्धारित की है। यानी इस तिथि तक सरकारी, निकाय या विकास प्राधिकरण की भूमि पर वास्तविक रूप से काबिज आवासहीन परिवार पट्टे के हकदार माने जाएंगे।
सर्वे 13 दिसम्बर तक, 29 को अंतिम सूची
20 नवम्बर से शुरू हुआ सर्वेक्षण 13 दिसम्बर तक चलेगा। इसके बाद—14 दिसम्बर को प्रारंभिक सूची प्रकाशित होगी आपत्तियों के निराकरण के बाद 29 दिसम्बर को कलेक्टर अंतिम सूची जारी करेंगे। यह सूची जिला कार्यालय और विभागीय वेबसाइट mpurban.gov.in पर उपलब्ध रहेगी। सर्वे के लिए प्रत्येक जिले में दल गठित किए गए हैं, जिनका नेतृत्व राजस्व अधिकारी करेंगे। सर्वेक्षण के दौरान आधार e-KYC आधारित समग्र ID अनिवार्य रखी गई है।
4 जनवरी से 20 फरवरी 2026 तक मिलेगा पट्टा अंतिम सूची जारी होने के बाद पात्र परिवारों को 4 जनवरी से 20 फरवरी 2026 तक आवासीय भूमि के पट्टे वितरित किए जाएंगे।
लाल रंग का पट्टा – स्थाई
पीला रंग का पट्टा – अस्थायी
जहां पुनर्व्यवस्थापन आवश्यक होगा, वहां समिति की अनुशंसा के अनुसार लाभार्थियों को वैकल्पिक भूमि पर बसाया जाएगा।
जहां पट्टे मिलेंगे, वहां पहले होंगे विकास कार्य
राज्य शासन ने स्पष्ट किया है कि जिन क्षेत्रों को स्थायी रूप से पट्टाधिकार दिया जाएगा, वहां सड़क, पेयजल, नालियां, बिजली सहित अन्य आधारभूत सुविधाओं का विकास प्राथमिकता से किया जाएगा। साथ ही अवैध कब्जा, फर्जी दस्तावेज या गलत जानकारी देकर पट्टा लेने वालों पर कड़ी कार्रवाई कर ब्लैकलिस्ट बनाई जाएगी।
“सबके लिए आवास” लक्ष्य की ओर बड़ा कदम
सरकार का यह अभियान शहरी गरीबों को सुरक्षित और स्थायी आवासीय अधिकार देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के सुचारू क्रियान्वयन और “सबके लिए आवास” के लक्ष्य की दिशा में सरकार की यह पहल निर्णायक साबित हो सकती है।

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