प्रभात फेरी से हुई 350वें शहीदी पुरब कार्यक्रमों की शुरुआत

भवानीमंडी: साहिब श्री गुरु तेग बहादुर महाराज की 350वीं शहादत बरसी पर शहर में श्रद्धा और भक्ति का विशेष माहौल रहा। देश- विदेश में 23 से 29 नवंबर तक मनाए जा रहे शहीदी पुरब के क्रम में सुबह गुरुद्वारा साहिब से प्रभात फेरी का शुभारंभ हुआ। प्रातः 7 बजे शुरू हुई प्रभात फेरी में संगत बड़ी संख्या में शामिल हुई। मार्ग में गुरु महाराज के जीवन, बलिदान और शहादत का चित्रण विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।प्रभात फेरी के गुरुद्वारा साहिब में समापन के बाद संगत द्वारा रखे सहज पाठ साहिब तथा अखंड पाठ साहिब की संपूर्ण समाप्ति सम्पन्न हुई। इसके उपरांत ज्ञानीजी और संगत द्वारा महला 9वें—जो स्वयं गुरु तेग बहादुर महाराज द्वारा रचित है। उनके शबदों का पाठ किया गया। गुरु महाराज की शहादत पर आधारित भावपूर्ण कीर्तन के दौरान दीवान हॉल में माहौल भाव-विभोर हो उठा। दीवान की समाप्ति पर सरबत के भले की अरदास की गई और सभी श्रद्धालुओं के लिए गुरु का हाथ प्रसादी लंगर वितरित किया गया।

सिखों के नवें गुरु, साहिब गुरु तेग बहादुर जिन्हें “हिंद दी चादर” की उपाधि से सम्मानित किया जाता है, उन्होंने धर्म, मानवता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए 24 नवंबर 1675 को दिल्ली में सर्वोच्च बलिदान दिया था। दीवान में इतिहास साँझा करते हुए उनके साथ शहीद हुए भाई मतीदास, भाई सती दास और भाई दयाला की अमर शहादत को भी बड़े भाव से याद किया गया। इन तीनों महान शहीदों ने कश्मीरी पंडितों सहित पूरे हिन्दू समाज की रक्षा हेतु अपने प्राण न्योछावर किए थे।कार्यक्रम के अंत में सिख समाज के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर का जीवन देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा का अद्वितीय संदेश देता है। उन्होंने कहा, “गुरु महाराज ने हिंद की चादर बनकर न केवल सिक्खी, बल्कि पूरे देश की अस्मिता की रक्षा की। यह 350वां शहीदी पुरब हमें एकता, सेवा और धर्म-रक्षा की प्रेरणा देता है।

पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं का निरंतर उत्साह देखने को मिला। महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग सभी ने गुरु महाराज तथा शहीद सिक्खों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। गुरुद्वारा परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में पूरे दिन अनुशासन और भक्ति का वातावरण बना रहा।

0 Comments

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post